Monday, October 18, 2010

Loan, लो न

I have subscribed to SBS Radio's Hindi podcast. They usually have Australia specific stuff but once in a while, they cover general issues. Its refreshing to hear pure hindi. One of their episodes had poetry reading by Ashok Chakradhar. He read his latest on Loan. You can hear him here. What wonderful words and an apt message for the times we live in. I am reproducing it here for you.

अशोक चक्रधर - लोन

ज़िन्दगी में चलता है झींकना झिकाना
दो पडोसी थे, एक का नाम फलाना एक का नाम ढिकाना |
फलाना बोला "ढिकाने, रात में पूरी एक बोतल तुने लगाई थी ठिकाने
राम जाने कैसे जी रहा है,
छत पर टीन नहीं है
और सुबह सुबह फिर से neat पी रहा है?"

तो गिलास को गटकते हुए
और थोडा सा अटकते हुए
कहने लगा ढिकाना,
"यार फलाने, तुझे क्या बताना
अपुन कभी पानी नहीं मिलाता है
जैसे ही सामने neat आती है
मुह में पानी आ जाता है |
अपना काम तो प्यारे neat से ही चलता है
तू क्यों जलता है?
By God, ज़माना बड़ा ज्वलनशील है
लेकिन neat ही चलनशील है |
और तेरा बेटा नीटूं नेट पर neat neat नट नटी देखता है
विदेशी कायाएं सटी सटी देखता है,
हो सके तो उस में शर्म का पानी मिला
भाई मेरे गिलास से कैसा गिला ?
Neat पर क्यों भवंडर करता है,
आजकल हत्यारा भी neat पीकर neatly murder करता है |
neat फर्श neat कालीन
सफाई से निकल आए neat and clean |
यानी के फलाने अगर बहुत ऊपर बहुत ऊपर बहुत ऊपर fly करना हो
मारना नहीं खुद मरना हो
तो neat baygone spray पीओ neat अल्फास खाओ
neat ज़हर पीओ और कुनबे के साथ मर जाओ |

बचपन में मिलते थे आने दो आने
साले खर्च ही नहीं होते थे फलाने
और अगर कभी मिल जाए एक रुपैया
तो दैया रे दैया

रूपया देकर चीज़ खरीदी बाकी बची अठन्नी
आठ आना दे चीज़ खरीदी बाकी बची चवन्नी
चार आना दे चीज़ खरीदी बाकी बची दुअन्नी
दो आना दे चीज़ खरीदी बाकी बची एकन्नी
एक आना दे चीज़ खरीदी बाकी बचा अधन्ना
उस में भी कुछ चीज़ आ गई ताक धिना धिन धिन्ना
इतनी चीज़े मिली फलाने ठाठ हो गए ठेठ
अकड़े अकड़े घूमा करते बने अधन्ना सेठ
लेकिन मेरे मुन्ना,
गायब हुआ अधन्ना
गायब हुई एकन्नी
गायब हुई दुअन्नी
गायब हुई चवन्नी
गायब हुई अठन्नी
बाकी बचा रुपैया
उसकी मेरे भैया मरी हुई हैं नानी
साफ़ हवा भी नहीं मिलेगा और न ताज़ा पानी
खाना पीना करना हो तो लेना होगा LOAN
एक रुपय में कर सकते हो केवल telephone |
और फलाने तुम्हे इतना और बताएँगे
फ़ोन भी तुम्हे नहीं करना उधर से ही आएंगे |
तुम मजमे में हो या मेज़ पर
सजनी के संग हो या सेज पर
असमय घन्घनायेंगे
कान में स्वर आएंगे
"Mr. फलाने My name is रूबी राने
I know that you are in your bedroom in your लिहाफ
but on the behalf of bank YCYCY
we are giving you an offer and you can't deny
that you need a car loan, or a घरबार loan
or a कारोबार loan or any प्रकार of loan,
so why to waste time, करिए संपर्क
no need of guarantor no paperwork
लीजिये loan, very easy loan"
बड़ा मीठा स्वर फलाने बड़ी प्यारी tone

तुमने तत्काल फ़ोन नहीं काटा
तो समझो मछली में लग गया काँटा
फलाने तुम फंस गए
और मौत के मुह में धंस गए
फलाने एक शब्द है जो खुद आया है समझाने
जो उन्दर से बोलता है
तमन्नाओं के अँधेरे में अक्कल की खिड़की खोलता है
लेकिन मियां, न तो उसका उजाला दिखाई देता है
और न सुनाई देती है उसकी ध्वनियाँ
वो शब्द है loan
जो तुमसे कहता है लो न
तुम उस पर ध्यान दो न

तुम अपने चमन में चैन से चादर में पैर फैलाए सो रहे थे
अगल बगल बच्चे सपनों में मगन हो रहे थे
अचानक आया एक विदेशी बैंक दैत्य का साया
उसने फैलाई माया
चादर में पाँव पकडे खिंच कर लम्बे कर दिए
और होड़ की दौड़ की हवस से भर दिए
फिर कहा 'माना की तुम्हारे पास दाल है रोटी है
मगर तुम्हारी चादर छोटी है |
बड़ा मकान नहीं है बड़ी दूकान नहीं है
बड़ी कार नहीं है बड़ा व्यापार नहीं है
हमारी बात पर ध्यान दो न
हम तुम्हे लोन देंगे लो न |'

अपने चादर के हिसाब से पाँव नहीं सिकोड़े
वक्त पर किश्त नहीं दे पाए तो बन गए भगौड़े
कभी इस side भागे तो कभी उस side
रास्ता बंद दिखा तो कर लिया suiside |
लोन की चादर ख़ुशी की जगह खेद हो गई
अचानक रंगीन से सफ़ेद हो गई
समृद्धि की नुमाइश उस चादर के निचे दफ़न हो गई
लोन की चादर कुनबे के लिए कफ़न हो गई |
पहले लगता था की बैंक कितना पवित्र स्थान है
खुशियों का खज़ाना समस्याओं का निदान है
बैंक का लोन वाह क्या बात है ?
लेकिन अब तो हर विदेशी बैंक के पास बाहुबलियों और गुंडों की जमात है

फलाने इंसान की हवस तो घटा
तू तो यह बता
क्या किसी जानवर का जंगल में खाता है ?
जितना ज़रूरी हो उतना ही खाता है
पक्षी अपना घोंसला अपने हौंसले से बनाता है
बाज़ों से ब्याज पर धन नहीं उठाता है
बैंकों में ब्याज का बाज़ मारता है झपट्टा
उतारता है इज्ज़त सरे आम खींचता है घर का दुपट्टा
बड़े मकान में चार दिन तो सुख से रह लोंगे
लेकिन क्या विदेशी बैंको के बाहुबलियों की मार को सह लोंगे ?
neat देखके मुह में पानी आता है
लेकिन फलाने मुझे मालूम है
यह रास्ता कहाँ जाता है |
वाह रे बैंक तेरा एहसान
विदर्भ में रोज़ मर रहे है किसान
ज़िन्दगी का बाँध टूट कर लहू की लहर बन गया है
अखबार का हर पन्ना आत्महत्याओं की नेहर बन गया है
लोन की किश्तों का कहर कुनबे की साँसों का ज़हर बन गया है |

अरे सबके पास कुदरत का बनाया हुआ आवास है
छत के लिए इतना बड़ा आकाश सबके पास है
धरती सबके पावों को टिकाती है
क्या कभी किसी को गिरती है ?
हवा हमे मुफ्त में मिलती है
पानी तुम ओख से पी सकते है
जितनी उम्र है शौख से जी सकते है
न तो भागो न लोन मांगो
लेकिन तुम अपनी ताकत भूल गए
खामखाँ पंखे से झूल गए

फलाने चादर को चादर ही रहने दो उसे कफ़न मत बनाओ
बाज़ार की चकाचौंध पर मत जाओ
इच्छाओं पर अंकुश लगाओ
फलाने इससे पहले की बैंक का कोई बाहुबली मुझे जूते चप्पलो की treat दे दे
ला एक गिलास neat दे दे

पूरा बदन बिना पिटाई के दुख रहा है
मुह मैं पानी नहीं है हलक सूख रहा है
हलक में अटका है एक शब्द
जो चीख चीख कर कहता है
लो न, लो न, लो न
पर तुम इस पर ध्यान
दो न, दो न, दो न...." ||